Tuesday, May 8, 2012

आखिरी बार


दो लोग जब प्यार में होते है
तो हर कुछ दिन बाद
ऐसा कुछ ज़रूर होता है
जिसके कारण ..नाराज़ हुआ जाता है
कहा सुनी हो जाती है
और आखिर में तय किया जाता है कि
ठीक है एक दूसरे को नहीं सुहा रहे
तो तुम अपने रस्ते...मैं अपने रस्ते .
आज यह आखिरी बार है जो
मिल रहे हैं...यहाँ.
इसके बाद से दोनों अपनी -अपनी राह.

आधा एक घंटा नहीं बीतने पाता
और दिल निकल पड़ता है फिर उसी रस्ते
जहां बिछड़े थे अभी ...कभी न मिलने की बात करके .
बीच रास्ते ..मन में आता है..पहले मैं ही क्यूँ?
फिर खुद को खुद ही समझा लेते हैं
क्या फर्क पड़ता है...कौन पहले बोले...
मुझमें उसमें कोई फर्क है क्या?

पहुँचो उस जगह तो दूसरा जना
खडा हुआ होता है पहले ही ...
प्यार में ....आखिरी बार जैसा
कुछ होता है क्या?

16 comments:

  1. आधा एक घंटा नहीं बीतने पाता
    और दिल निकल पड़ता है फिर उसी रस्ते
    जहां बिछड़े थे अभी ...कभी न मिलने की बात करके .
    बीच रास्ते ..मन में आता है..पहले मैं ही क्यूँ?
    फिर खुद को खुद ही समझा लेते हैं
    क्या फर्क पड़ता है...कौन पहले बोले...
    मुझमें उसमें कोई फर्क है क्या?... बिलकुल ऐसा ही होता है

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    1. सच्ची दी...बिलकुल ऐसा ही होता है.

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  2. क्या फर्क पड़ता है...कौन पहले बोले...
    मुझमें उसमें कोई फर्क है क्या?....

    बहुत अच्छी प्रस्तुति,....
    RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....

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  3. सुन्दर अभिव्यक्ति.......

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  4. Nidhi....us pyaar se kaise naraaz raha jaye aur kaise door raha jaye! :-)

    ekdam sach hai aapke shabd.

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    1. वही तो दिक्कत है...नाराज़ भी नहीं हुआ जाता

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  5. क्या सभी प्यार करने वाले एक से होते हैं क्या ???

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    1. प्यार करने वाले एक से होते हो या नहीं...प्यार ..ज़रूर,सबको एक सा बना देता है

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  6. प्यार में कुछ भी कहाँ आखिरी होता है, हर बार पहली बार आखिरी होता है. सुन्दर रचना, बधाई.

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  7. हाँ प्यार में आखिरी बार जैसा होता भी होगा तो उसका मतलब यही होता होगा...॥

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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