दो लोग जब प्यार में होते है
तो हर कुछ दिन बाद
ऐसा कुछ ज़रूर होता है
जिसके कारण ..नाराज़ हुआ जाता है
कहा सुनी हो जाती है
और आखिर में तय किया जाता है कि
ठीक है एक दूसरे को नहीं सुहा रहे
तो तुम अपने रस्ते...मैं अपने रस्ते .
आज यह आखिरी बार है जो
मिल रहे हैं...यहाँ.
इसके बाद से दोनों अपनी -अपनी राह.
आधा एक घंटा नहीं बीतने पाता
और दिल निकल पड़ता है फिर उसी रस्ते
जहां बिछड़े थे अभी ...कभी न मिलने की बात करके .
बीच रास्ते ..मन में आता है..पहले मैं ही क्यूँ?
फिर खुद को खुद ही समझा लेते हैं
क्या फर्क पड़ता है...कौन पहले बोले...
मुझमें उसमें कोई फर्क है क्या?
पहुँचो उस जगह तो दूसरा जना
खडा हुआ होता है पहले ही ...
प्यार में ....आखिरी बार जैसा
कुछ होता है क्या?
fantastic....
ReplyDeleteथैंक्स!
Deleteआधा एक घंटा नहीं बीतने पाता
ReplyDeleteऔर दिल निकल पड़ता है फिर उसी रस्ते
जहां बिछड़े थे अभी ...कभी न मिलने की बात करके .
बीच रास्ते ..मन में आता है..पहले मैं ही क्यूँ?
फिर खुद को खुद ही समझा लेते हैं
क्या फर्क पड़ता है...कौन पहले बोले...
मुझमें उसमें कोई फर्क है क्या?... बिलकुल ऐसा ही होता है
सच्ची दी...बिलकुल ऐसा ही होता है.
Deleteक्या फर्क पड़ता है...कौन पहले बोले...
ReplyDeleteमुझमें उसमें कोई फर्क है क्या?....
बहुत अच्छी प्रस्तुति,....
RECENT POST....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....
धन्यवाद!!
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति.......
ReplyDeleteथैंक्स!!
DeleteNidhi....us pyaar se kaise naraaz raha jaye aur kaise door raha jaye! :-)
ReplyDeleteekdam sach hai aapke shabd.
वही तो दिक्कत है...नाराज़ भी नहीं हुआ जाता
Deleteक्या सभी प्यार करने वाले एक से होते हैं क्या ???
ReplyDeleteप्यार करने वाले एक से होते हो या नहीं...प्यार ..ज़रूर,सबको एक सा बना देता है
Deleteप्यार में कुछ भी कहाँ आखिरी होता है, हर बार पहली बार आखिरी होता है. सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDelete:-)))
Deleteहाँ प्यार में आखिरी बार जैसा होता भी होगा तो उसका मतलब यही होता होगा...॥
ReplyDeleteहम्मम्मम ..:-))
Delete