ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Saturday, April 28, 2012
यहीं और अभी ...
मुझे नहीं करना इंतज़ार...
अब, और....
न जाने कितनी सदियों से मुझे तुम बरगला रहे हो
आगे भी यूँ ही बरगलाते रहोगे
कि प्रेम आता है..
उसके पास जो इंतज़ार करता है .
कितनी प्रतीक्षा और ...????
मुझे अपनी बातों के इस मकडजाल में
अब और ना उलझाओ .
अबकि ,
यही इसी बार
इश्क चाहिए...मुझे.
वो आये,मुझे मिले और मेरा होकर ही रहे .
प्लीज़,वो सब लोग
जो समझाने आये हैं ,
चले जाएँ .
मुझे अब और न भरमाएं.
मुझे नहीं सुनना...नहीं समझना कुछ
मुझे प्रेम चाहिए हर हाल में ..
अभी ...इस बार..यहीं
सुन रहे हो न...तुम???
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सुन रहा है............
ReplyDeleteशायद दस्तक भी दी दरवाज़े में ......
अच्छा जी...
Deleteआखिर इंतजार की भी कोई सीमा होती है... नाज़ुक अहसास...
ReplyDeleteकुछ लोग नहीं समझते.
Deleteबहुत भावपूर्ण और प्रभावी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteशुक्रिया!!
Deleteबेजोड़ भावाभियक्ति....
ReplyDeleteभावों से नाजुक शब्द.....
हार्दिक धन्यवाद!!!
Deleteअगर अब भी नहीं सुन रहा होगा तो इंसान नहीं पत्थर होगा ... भावपूर्ण रचना
ReplyDelete:-))))
Deletewah...bahut khub...behtareen bhav:-)
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deleteप्रेम और प्रतीक्षा ...नियती ने इन्हें उकेरा है एक ही सिक्के के दोनों ओर,बस इतनी से सुविधा दी है ....की देखते रहो कोई सा भी मनचीता रुख |कविता बच्चों की तरह जिद करती है मुझे चाँद चाहिए ,अभी चाहिए पूरा चाहिए ....यह बाल सुलभ हठ अच्छा लगता है | बधाई इसे यूँ लिख पाने के लिए |
ReplyDeleteहमारा असल मन तो यही कहता है। लेकिन दुनियादारी के बीच मे शायद हम इसको भी बदलने की कोशिश करने लगते है। आपकी इस कविता को पढ़कर लगा कि मैंने भी कितना कुछ बदलने की कोशिश कर रखी है। पर है तो यही जैसा आपने लिखा है। आपको पढ़ने पर कभी कभी एहसास होता है कि मैंने आईने के सामने बैठी अपने को देख रही हूँ।
ReplyDeleteइससे अच्छा कमेन्ट मुझे कोई नहीं लगता जब कोई यह कह दे कि आपका लिखा पढ़ कर लगता है कि मेरी बात कह दी,आपने.थैंक्स ...दोस्त.
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