ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, April 3, 2012
मेरी व्यस्तताएं ...
मुझे पता है ..
बिलकुल कायदे से पता है..
देखते रहते हो तुम मुझे
कहीं छुप के ..हर वक्त
जब कोई नहीं होता है आस-पास,
तब आ के खड़े हो जाते हो मेरे समक्ष .
पता है ...तुम ही हो
कोई और कैसे होगा भला ?
तुम्हारे अलावा कभी किसी को
जाना कहाँ...
माना कहाँ....
चाहा कहाँ.....
सुबह का सपना सच होता है ...
इसलिए सोते हुए,यही प्रार्थना
कि तुम्हारा सपना आये तो सुबह आये.
फिर.......
सुबह से रात होने तक बस तुम्हारा ख्याल
किसी न किसी बात पे घूम-फिर
करती रहती हूँ बस तुमको याद
सच है न....
प्यार में ... कभी कोई खाली नहीं होता
प्यार..हमेशा व्यस्त रहने का नाम है.
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बहुत सुन्दर...........
ReplyDeleteप्यार में ... कभी कोई खाली नहीं होता
प्यार हुआ उससे मुझे
Deleteवो मसरूफ हुए जाते हैं
प्यार में कितनी व्यस्तता है ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया....संगीता जी.
Deleteसुबह का सपना सच होता है ...
ReplyDeleteइसलिए सोते हुए,यही प्रार्थना
कि तुम्हारा सपना आये तो सुबह आये.... प्यार ही प्यार है इस ख्याल में
प्यार भरी इस टिप्पणी के लिए धन्यवाद!!
Deleteबहुत बढ़िया रचना,प्यार की सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन पोस्ट,....
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...
आभार!!
Deleteअनुपम भाव लिए ..उत्कृष्ट लेखन
ReplyDeleteकल 04/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... अच्छे लोग मेरा पीछा करते हैं .... ...
हार्दिक धन्यवाद!!
Deleteप्यार में ... कभी कोई खाली नहीं होता
ReplyDeleteप्यार..हमेशा व्यस्त रहने का नाम है....
waah nidhi ... behtareen rachna ke liye badhai ... :)
शुक्रिया...!!प्यार ऐसा ही होता है,न?
Deletebahut acha likhte hain ap?
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया ,आपका....मेरा लिखा पसंद करने के लिए.
Deleteप्यार में ... कभी कोई खाली नहीं होता
ReplyDeleteप्यार..हमेशा व्यस्त रहने का नाम है.
sahi kaha....
pyaar mein keval pyaar hota hai....
bas aur koi nahi...
har samay..
har waqt.....
(kisi vyakti mein n bandhen ise....)
प्यार को किसी में बांधा कहाँ जा सकता है,पूनम.
Deleteहम चाहते हैं आप इस तरह हमेशा वयस्त रहो...जीवन महकता रहेगा...पल-पल...
ReplyDeleteआमीन!!
Deleteव्यस्त रहना- जीवन यही तो है !
ReplyDeleteऎसी व्यस्तताएं...ईश्वर सबको दे...
Deleteप्यार हमेशा व्यस्त रखता है ....
ReplyDeleteएकदम सत्य!
प्यारी सी कविता !
जी हाँ..यह मसरूफियत है प्यार की.
Deleteshuruaat bhi unhi se aant bhi unhi se....
ReplyDeleteजी...प्यार जो न करवाए वो कम है
Deleteमुझे पता है ..
ReplyDeleteबिलकुल कायदे से पता है..
देखते रहते हो तुम मुझे
कहीं छुप के ..हर वक्त
जब कोई नहीं होता है आस-पास,
तब आ के खड़े हो जाते हो मेरे समक्ष .
...न जाने प्यार में इस भाव को कितनी बार महसूस किया है ....आपने दिल की बात कैसे जान ली.....बहुत सुन्दर !!!!
हम सभी..ऐसा अक्सर ही महसूस करते हैं कि कोई जैसे हमारे आस पास ही है
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteसादर
थैंक्स !!
Deleteतभी तो कहते हैं कि ....मोहे सपनो की दुनिया प्यारी लागे रे....कोई ना आ कर मुझे जगाएँ...कुछ पल रहूंगी साथ उनके ...बन कर मैं दीवानी मीरा रे |
ReplyDeleteसुन्दर टिप्पणी !!
Deletepyaar ko sundar sabdon se samjhaya aur sajaya aapne . badhai ho.
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया!!
Deleteप्यार में कोई खाली नहीं होता ... बिलकुल दुरुस्त कहा है ... प्यार में किसी भी बात की फुर्सत नहीं होती ... उनके ख्यालों से बाहर ही नहीं आ पाते ... लाजवाब ...
ReplyDeleteख्यालों से घिरे रहने के कारण व्यस्तता खुद ब खुद बढ़ जाती है
Deleteहमेशा वयस्त रहो...जैसे मैं भी आजकल व्यस्त हूँ....लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteव्यस्त रहिये...मस्त रहिये...यूँ ही.
Deleteप्रथम बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर सार्थक हुआ |
ReplyDeleteआपका भी स्वागत है.जिंदगी के नए फलसफे का सुदर्र भावभीना चित्रण किया है आपने बधाई |||
उम्मीद करती हूँ कि आप यूँ ही आती रहेंगी और मैं आपको निराश नहीं करूंगी
Deleteकोमल भावो की
ReplyDeleteबेहतरीन........
सुषमा ...शुक्रिया!!
Deleteप्यार व्यस्त रहने का नाम है...भूल गए थे..कि हमेशा खाली होते हुई भी हम व्यस्त ही रहते हैं..ओह खाली हम कहां रहते हैं..यादों के साये तो हमेशा साथ ही रहते हैं..खाली हुए नहीं कि चेहरे पर मुस्कुराहट ला देते हैं...कैसी भी मोहब्बत रही हो..दर्द भरी या प्यार भरी
ReplyDeleteमोहब्बत किसी भी रही हूँ...आंसू मिले हों या मुस्कान....आपको व्यस्त रखती है...हमेशा.
Deleteकल 16/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
शुक्रिया!!यशवंत .
Deleteनिधि इस ढाई आखर के गूढ़ तत्व को जैसे तुमने समझा है...जाना है ; कोई राधा....कोई हीर....कोई सोनी ही जान सकती थी !
ReplyDeleteइसमें नख-शिख तक डूबे बगैर इसे कोई जान भी नहीं सकता !......
यूँ ही तो नहीं कहा होगा हीर ने ..... "सैंयो री मैनु रांझा आख्यो हीर न आख्यो कोय "
जाने वो प्रियतम ही देखता रहता है हमें छुप छुप के दिन भर ; या कि हम ही उसका भेस धर के , खुद को देखते हैं उसकी नज़र से !
वो प्रिय , जो हमारी साँसों में बहता है......धमनियों ने दौड़ता है .....वो जो मन है....प्राण है....आत्मा है !......
"तुम मेरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता !"
सुबह के सपने सच होते हैं कि नहीं....नहीं जानती !
हाँ ! इतना जानती हूँ .....कि सच्चे मन के सपने हमेशा सच होते हैं !..........
क्योंकि उनके पीछे मन की सच्ची आस्था होती है.....निष्ठा होती है .....विश्वास होता है !
रही बात ......
"सुबह से रात होने तक बस तुम्हारा ख्याल
किसी न किसी बात पे घूम-फिर
करती रहती हूँ बस तुमको याद
सच है न....
प्यार में ... कभी कोई खाली नहीं होता
प्यार..हमेशा व्यस्त रहने का नाम है !"
प्रेम ऐसे ही तो घटता है जीवन में.....प्रेम इसी रूपांतरण का तो नाम है !......
बूँद जैसे अपनी सीमाएँ तोड़ कर सागर बन जाती है !.....
पूरा अस्तित्व ही जब किसी और में घुल मिल जाए....तो फिर अपना बचता ही क्या है ?
न सोच ....न चिंतन ...न विचार.... न तर्क ....
न देह...न मन.....न चित्त ....न प्राण......
बस एक अद्भुत संवेदन , जो मुझमें थिरके ...तो मैं जलतरंग सी बज उठूँ !....सब कुछ संगीतमय हो जाए !
कर्ता न रहे .....केवल कृत्य ही शेष रहे.....
बकौल जिगर मुरादाबादी ...
न गरज़ किसी से न वास्ता मुझे काम अपने ही काम से
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से, तेरी याद से, तेरे नाम से !
दी..आपकी हरेक बात से पूरी तरह सहमत हूँ.प्रेम जैसे ही जीवन में प्रवेश करता है आप का अहम् समाप्ति की ओर अग्रसर होने लगता है...और यहीं से शुरू होता है आपका रूपांतरण.
ReplyDeleteप्यार से ज्यादा मसरूफियत वाला तो कोई काम ही नहीं...इसमें न इस पहलु चैन न उस करवट आराम.दी,मुझे भी नहीं पता भोर के सपने सच होते हैं या नहीं..पर हाँ ऐसा सुनती आयीं हूँ...और जब मन में कुछ पाने की लालसा जोर मारती है तो मन में सबसे पहली यही आता है कि सुबह के सपने में वो चीज़ मुझे मिल जाए .
इतनी विशद टिपण्णी हेतु आभार !!जिगर मुरादाबादी के शेर ने तो जाँ डाल दी,एकदम.