Friday, November 20, 2015

चुनना

तुमने चुनी अपनी सुविधा
अपनी पसंद को जिया
किसी और के मुताबिक़ चलना
किसी के जज़्बातों की कद्र करना
कभी ये सीखा ही कहाँ 
तुम तो फिर तुम हो न आखिर
अपने लिए जीते हो अपने लिए ही जियोगे
बाक़ी किसी की परवाह भला क्यों करोगे
यह जानते बूझते मैंने ठानी है
तुमसे कुछ कहना बेमानी है
अब ...बस अपने आप को
समेटने की कोशिश है
संभालने का प्रयास है
धीरे धीरे अपने को समझाना है
समझाते हुए ख़ुद को सिखलाना है
कि कुछ बातें अपने हाथ नहीं होतीं
और तुमसे जुड़ा मेरा सब कुछ
इन्हीं बातों में आ जाता है

Monday, October 12, 2015

मुल्तवी

मुल्तवी कर दिया है...
तुमसे कुछ कहना
कि पता है ,सुनोगे नहीं
सुन जो लिया तो
समझोगे नहीं
और गर समझ लिया
तो भी...मानोगे कतई नहीं
तो कहने का फायदा नहीं
छोड़ो न...
जाने देते हैं
सारी कही अनकही
बातें छोटी छोटी सी
या कहानी लंबी सी
दरमियां बची...
इक ज़िन्दगी अजनबी सी

Thursday, October 8, 2015

अवसाद

बहुत घने साये हैं
उदासी के
दिन रात सब हैं
बासी से

क़दम फिसलते जा रहे हैं
अवसाद के
इस अंधे कुएं की ओर
रोकना चाह कर भी
चलता नहीं इनपे ज़ोर
अच्छा बुरा लगना सब बंद हो गया है
ऊपर से सब चाक चौबंद हो गया है
पर असलियत कुछ और है
तुम्हारी सख़्त ज़रूरत का दौर है

कोई आस बची नहीं
कोई प्यास रही नहीं
एक आखिरी पुकार
तुम्हारे लिए यार कि
बाहर खींच लो उसे
हताशा के दलदल से
रोज़ मर रहा है
वो न जाने कब से
रात और नींद में उसकी
दुश्मनी हो गयी है
दिन भर अजीब सी उसकी
मनःस्थिति हो गयी है
कौन कौन से कहाँ कहाँ के
कितने ऊल जुलूल ख़्याल हैं
आजकल पास उसके
ढेरों फ़िज़ूल से सवाल हैं

तुम बाँह उसकी थाम लो
खींच के बाहर निकाल लो
वक़्त ज़रा सा भी न खराब करो
सोचो मत, जो करना है अब करो
आस की,विश्वास की डोर थमाओ उसे
आशा का सवेरा दिखाओ उसे
आवाज़ दो यार अब जगाओ उसे

Saturday, September 5, 2015

शिक्षक दिवस

वही कुछ सीख पाया है
जिसने सीखना चाहा है

माँ बाप यार दोस्तों ने
कुछ न कुछ सिखाया है

हर तजुर्बा खुद बेमिसाल
जिसने जीना बताया है

हर सबक सीख लेगा वो
उस्ताद उसका सरमाया है

हादसों औ ज़ख्मों तक ने
तरबीयत* को अपनाया है

*teaching

सीखने सिखाने वालों को आज के दिन की मुबारकबाद!!

Tuesday, September 1, 2015

ख़्वाब हो तुम

क्या था वो
सुबह को तो
याद नहीं रहता जो
बस होता रहता है
इक अच्छा सा एहसास
कि जो देखा वो था ख़ास
उस ख़्वाब सरीखे हो तुम

ख़्वाब हो तुम वही बने रहना
खूबसूरत  प्यास बने रहना
ख़्वाबों का होना ज़रूरी है
बताते हैं ये
कितनी तमन्नायें अधूरी हैं

काली रातों की नाउम्मीदी में
तुमसे आस का सवेरा झांकता है
तुम्हें सच करने की कोशिश में
पा लेने की उम्मीद पे
कोई अपने दिन रात काटता है

Monday, August 31, 2015

उम्मीद

तू मुझसे रूठा
तेरा साथ छूटा 
ज़िन्दगी वीरान
ख़ुशी न मुस्कान
कहीं से कोई ख़बर आती नहीं
तुम तक कोई डगर जाती नहीं

तेरे सिवा ...
न कोई था न कोई और है
कहूँ क्या....
नाउम्मीदी का एक दौर है

तेरी बातें तेरी यादें 
ढाँढस बंधाती हैं
मेरी आस का चिराग़
दिन रात जलाती हैं 
कहीं कोई तो चिंगारी 
है अब तक बाकी 
जो सुलगती और जलाती है 
नाउम्मीदी के इस दौर में भी
उम्मीद मरने नहीं पाती है

Sunday, August 30, 2015

ध्यान से सुनना तुम


इसे फुसला लेना तुम
यूँ ही बहक जाएगा
बुद्धु है दिल मेरा
इक इशारा करना तुम
साथ तुम्हारे चल देगा
है पागल मनचला
आवाज़ जो दोगे तुम
हर हाल चला आएगा
कि ज़िद्दी बड़ा
कोई इम्तिहाँ हो तैयार ये
जब जैसे चाहे आज़माना
मन मेरा ... सरफिरा

कान नहीं देते हो
मेरी किसी बात पे
पर इस बात को
ध्यान से सुनना तुम
क़सम से ये जी जायेगा
कि प्यार निभाना तुम
तेरे बिन कहीं न जाएगा
इसका ठौर ठिकाना तुम

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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