ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Wednesday, November 9, 2011
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भावों की सुंदर अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteबहुत ही सहज चाह
ReplyDeleteरजनीश जी....आभार !!
ReplyDeleteरश्मिप्रभा जी ....सहज चाह ...सहज रूप से पूरी हो जाए...काश.
ReplyDeleteजीवन को बहुत ढो चुकी हूँ ,
ReplyDeleteअब जीवन को जीना चाहती हूँ ....bahut khoob....
प्रियंका...धन्यवाद!!
ReplyDeleteक्या कहने, बहुत सुंदर
ReplyDeletebindass.......khubsurat prastuti
ReplyDeleteमहेंद्र जी....हार्दिक धन्यवाद!!
ReplyDeleteअंजू............थैंक्स!!
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति..!!
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteजीवन को जीने का आनद ही असल आनंद है ...
ReplyDeleteप्रियंका...तहे दिल से शुक्रिया !!
ReplyDeleteसदा.....धन्यवाद!!
ReplyDeleteदिगंबर जी....जीवन को पूरी शिद्दत से जीना ही असल जीना है.
ReplyDeleteसच.....खुद के अक्स से अलग जी कहाँ पाते हैं........
ReplyDeleteकुमार....यही तो सबसे बड़ी परेशानी है कि जीवन जीते हैं पर,जीना ही नहीं आता .
ReplyDeleteअब जीवन को जीना चाहती हूँ ....बिंदास !!मन के भावो की बेहतरीन प्रस्तुती....
ReplyDeleteसुषमा ....बहुत -बहुत शुक्रिया !!
ReplyDeleteजीवन को बहुत ढो चुकी हूँ ,
ReplyDeleteअब जीवन को जीना चाहती हूँ ....मनोभाव का सहज अभिव्यक्ति..
निधि जी,
ReplyDeleteआपने बहुत सुंदर लिखा की.
जीवन बहुत ढो चुकी हूँ
अब जीवन को जीना चाहती हूँ..उम्दा पोस्ट
मेरी राय में आपको रचनाकार बनना चाहिए..
कोशिश जारी रखे...मेरी बधाई स्वीकार करे...
मेरे नए पोस्ट -वजूद-में आपका हार्दिक स्वागत है....
महेश्वरी जी ...आपका बहुत धन्यवाद !!
ReplyDeleteधीरेन्द्र जी..आपके ब्लॉग पर अवश्य आउंगी ...आपकी प्रशंसा हेतु आभार .
ReplyDeleteसब कुछ कह दिया..अब जीवन को जीना चाहती हूँ....बेहतरीन रचना निधि जी !!
ReplyDeletebehtareen nidhu.............''bindaas'' was just like n icing on d cake !!:))
ReplyDeletegulzar saab ki kuch panktiyaan yaad aa rahi hein......''tumhi se janmu toh shaayad mujhe panaah mile .....''<3
गुंजन...कोई भी काम करो ...कुछ भी करो...करना पूरी शिद्दत से चाहिए...
ReplyDeleteसंजय जी.....आपका आभार.
ReplyDeleteनिधि ! किसी के जाने और वापस आने के दरमियाँ इंतजार का लम्बा फासला होता है ...चले आओ न .....देखो न बेकरारी मेरी भी
ReplyDeleteतुम्हारे जाने ...
और लौट कर वापस आने के बीच
मेरी आँखों सा गहरा
आसुओं सा खारा
एक गहरा समंदर है , इंतजार का ...
इन्तेहा न करना
जल्दी आना
कहीं और खारा न हो जाये
तुम्हारा समंदर
मेरे आंसुओं से ....
कहीं धुंधली न हो जाये
रौशनी
तकती आँखों की ...
तूलिका ...ये जाने और वापस आने के बीच का वक्त सदियों सा होता है ...बेकरारी का लिहाज कर ले कोई...
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