ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Tuesday, July 16, 2013
शहर में रहा करो
तुम साथ नहीं
तुम पास नहीं
पर,शहर में हो
यह बात भी तसल्ली देती है.
जब सुन लेती हूँ ख़बर
तुम्हारे कहीं जाने की
अजीब सी हालत होती है मेरे मन की...
बड़ा उचाट सा रहता है
वापसी की बाट जोहता है.
मेरे शहर की वो हवा
जो तुम्हें छू कर गुज़रती है
उसे साँसों में भर लेने से
तेरे करीब होने का एहसास जग जाता है.
शहर में तेरी नामौजूदगी से
जीवन ठहर जाता है
सब कुछ थम जाता है .
इसलिए,सुनो मेरी कही यह बात
प्लीजज्ज जहां के हो वहीं आ जाओ,वापस.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
आभार!!
Deleteबहुत उम्दा,सुंदर प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST : अभी भी आशा है,
थैंक्स!
Deleteबेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (17-07-2013) को में” उफ़ ये बारिश और पुरसूकून जिंदगी ..........बुधवारीय चर्चा १३७५ !! चर्चा मंच पर भी होगी!
सादर...!
इस तरह बुलाया तो कहाँ रुक पायेगा कोई !!
ReplyDeleteआपकी बात सच हो जाए...काश
Deleteकोमल अहसासों से सजी कविता..
ReplyDeleteसराहने के लिए,थैंक्स!
Deletebohat hi pyari rachna :)
ReplyDeleteशुक्रिया!
Deleteदूर रहते हुए भी प्यार में इंतज़ार ....वाह बहुत खूब
ReplyDeleteकई बार सारी उम्र प्रतीक्षा में ही निकल जाती है
Deleteमन के प्रेम भरे एहसास अपने आप ही चालक आते हैं जुदाई में ...
ReplyDeleteप्यारी रचना ...
बहुत शुक्रिया
Deleteबहुत ही गहरे भावो की अभिवयक्ति......
ReplyDelete:)
Deleteबहुत सुंदर, शुभकामनाये
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
आपका आभार
Deleteजबरदस्त.....क्या बात है !!
ReplyDeleteथैंक्स!!
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteI can completely relate to this Nidhi :)
ReplyDeleteIt is true, distance is ok if not uncrossable, someone's presence uplifts the spirits and keeps life enlightened. The absence is doubtlessly killing!
Thanks for this lovely expression.
-Shaifali
"अंत तक अकेले है" -
http://guptashaifali.blogspot.com/2013/07/blog-post_17.html
रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक धन्यवाद!!
ReplyDeleteधन्यवाद!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में भी पधारें ..!!
ReplyDeleteशब्दों की मुस्कुराहट पर .... हादसों के शहर में :)