ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
Saturday, March 16, 2013
रंगीला बसंत
तेरी यादों की बालियाँ
पक गयी हैं
लहलहाने लगी हैं.
आम पर लद रही है बौर
जैसे संग है मेरा दर्द
मुझे महकाता हुआ .
अलसी के फूलों ने
ले लिया है नीलापन
मेरी हर अंदरूनी चोट से.
सरसों ने उधारी पर लिया है
थोड़ा पीलापन
मेरे ज़र्द चेहरे से
पर ...मज़े की बात है कि
इस सब के बीच में ही
फूल रहा है हमारा प्यार
पलाश सा दहकता हुआ लाल .
कितना रंगीन होता है न बसंत...!!
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अद्भुत ....बहुत सुन्दर कृति आपकी ....
ReplyDeleteथैंक्स!!
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteशुक्रिया!
Delete"बहुत सुन्दर एहसास प्यार का"
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग का अनुशरण करें ख़ुशी होगी
latest postऋण उतार!
जी...
Deleteबहुत क्ल्हूब ... ये पलाश यूं ही महकता रहे ... ये बसंत कभी खत्म न हो ...
ReplyDeleteसुन्दर एहसास लिए रचना .....
धन्यवाद!!
Deleteआभार...मेरी रचना को शामिल करने के लिए
ReplyDeleteवाह, क्या रंगों की बौछार करके दिल की आवाज़ चंद से लफ़्जो मैं छुपा ली ......दर्द (भी)...महकाता हुवा .....चोट का नीलापन .....ज़र्द चहेरे का पीलापन .....अपना बसंत कितना रंगीन बना लिया है अपने पलाश सा दहकता हुवा लाल प्यार संग ........! क्या रंग पकडे है लाल ,नीला और पिला ...जिसमे सारे रंग छिपे हुवे है !!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteइन सबके पलाश- सा दहकता हमारा प्रेम ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
आभार!!
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