Thursday, August 2, 2012

राखी




याद ही होगा तुम्हें भी
जब साथ होने की
कोई अहमियत न थी .
राखी ...आती थी
और ले आती थी
अपने साथ
शर्तें,फरमाइशें
यह देना वो देना ..
इतने रुपयों से कम दोगे
तो राखी नहीं बांधेंगे .

वक़्त बदलता है
एक सा कब रहता है
आज ...दूर हैं
राखी खुद बाँध लोगे
गिफ्ट भी भिजवा दोगे
पर,मन होता है
कुछ न देते
पर पास होते
साथ होते .

मन का चाहा...कब होता है
खैर छोडो ......
दूर सही
पर दुआओं में हमेशा रहोगे...............पास .

16 comments:

  1. भावमय करती प्रस्‍तुति ...
    आपको इस स्‍नेहिल पर्व की अनंत मंगल कामनाएं

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर ,,
    दूर हो या पास हो दुआ हमेशा साथ रहती है...
    :-)

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी हाँ...दुआओं में अपने हमेशा पास रहते हैं.

      Delete
  3. बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  4. रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,

    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको भी.....धन्यवाद !!

      Delete
  5. राखी...इस कच्चे धागे से जुड़ी कितनी ही यादें हमारे जहन में हैं...बचपन से लेकर आज जब हम अलग-अलग शहरों में रह रहें हैं...इस दौरान कितना समय गुजरा है...और समय के साथ कितना कुछ बदला है...लेकिन नहीं बदला तो दुआ का वो सिलसिला...ये दुआ ही तो है जो हमें जोड़े है...

    ReplyDelete
    Replies
    1. दुआओं का सिलसिला कभी थमता नहीं है...
      अपने ,उसमें हमेशा शामिल रहते हैं.

      Delete
  6. भाई बहन को जोड़ता पर्व , बहन की दुआएं , भाई का साथ - अनोखा है

    ReplyDelete
  7. दूर सही
    पर दुआओं में हमेशा रहोगे...............पास .

    बस इतना ही काफी है....
    दूर हो के भी पास तो है...
    वर्ना लोग पास हो कर भी दूर रहते हैं...!

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी जीने के लिए इतना बहुत है कि पास रहें किसी के ..हमेशा ,चाहें दुआओं में ही सही

      Delete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers