Thursday, December 15, 2011

चाहोगे न ?




मैं वाकिफ हूँ इस बात से
कि,मेरे साथ
बड़ा कठिन है निबाह पाना
साथ चल पाना,प्यार कर पाना .

तुम जानते हो कई बार
मैं बिना किसी कारण
तुम्हें कटघरे में खडा कर देती हूँ
इतना धकेलती हूँ कि..
तुम्हारे पास जीतने का कोई चारा नहीं बचता
तुम हारते नहीं हो
बस,मेरा दिल रखने को
हार मान लेते हो .
सोचते हो कि ..
आखिर कहाँ ,कब,कौन सी गलती तुमसे हुई
जिसके लिए मैंने ऐसा किया ...

सच कहूँ,तो तुम गलत नहीं होते हो
गलत ...मैं होती हूँ.
क्यूंकि,
मैं समझ नहीं पा रही
गले नहीं उतार पा रही ...सीधी -सिंपल सी यह बात
कि तुमसा बेहतरीन इंसान ...
मुझमें ऐसा क्या देखता है?
मुझे भला क्यूँ इतना चाहता है ?
एक अनजाना सा डर मुझे घेर लेता है
ये डर ही सब ऊलजलूल कहलाता ,करवाता है
यह डर...
कि ,तुम कहीं भूल तो नहीं जाओगे मुझे
कमियां जान कर छोड़ तो नहीं दोगे मुझे
मैं कुछ छिपा नहीं रही,अपनी गलती से न भाग रही
कोई बहाना भी नहीं बना रही
बस,इतना कह रही...
कि ,जब मुझे समझ पाना कठिन होता है
मेरी थाह पाना बहुत मुश्किल होता है
उस वक्त...उन क्षणों में
जिनमें ,तुम्हें कुछ कहना चाहती हूँ पर बता नहीं पाती
जो बोलना चाहती हूँ वो जतला नहीं पाती
तब ....ही...
मैं तुम्हें सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ
तुम्हारे बिन जीवन की कल्पना नहीं कर पाती हूँ.

कोई मुझे इतनी शिद्दत से कैसे चाह सकता है ..
यह सवाल रात-दिन परेशान करता है ,आजकल .
सोचती हूँ ,कोहरे की चादर में लिपटी किसी सुबह
इस प्रश्न को किसी गहरी घाटी में फेंक आऊँ
जिससे दोबारा ये मन की झील में हलचल न मचाये
क्यूंकि,पता तो है ,मुझे
जैसी हूँ...सारी खूबियों -खामियों के साथ
मुझे चाहते हो तुम ...हमेशा चाहोगे
चाहोगे न...?

28 comments:

  1. दी...

    सौवी रचना प्रेषित करने पर हार्दिक शुभकामनाएँ..!!!

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  2. दी..

    बेहद खूबसूरती से हाल-ए-दिल बयां हुआ है..


    ...

    "चाहत का मेरी इल्म ना हो..
    दुनिया को फ़क़त..
    हर नफ्ज़..
    छुपाये रखता हूँ..
    रूह में मेरे महबूब..!!"

    ...

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  3. कोई मुझे इतनी शिद्दत से कैसे चाह सकता है ..
    यह सवाल रात-दिन परेशान करता है ,आजकल .
    सोचती हूँ ,कोहरे की चादर में लिपटी किसी सुबह
    इस प्रश्न को किसी गहरी घाटी में फेंक आऊँ
    जिससे दोबारा ये मन की झील में हलचल न मचाये
    क्यूंकि,पता तो है ,मुझे
    जैसी हूँ...सारी खूबियों -खामियों के साथ
    मुझे चाहते हो तुम ...हमेशा चाहोगे .... bewajah prashn utha rahi hun , bahut hi badhiyaa

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  4. ओंस जैसे एहसासों को बड़ी नाज़ुकी से...पिरोया है...
    सादर!

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  5. बहुत ही खुबसूरत से दिल की हलचल को रचना में पिरोया है आपने......

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  6. ्मन के कोमल भावो को सुन्दरता से उकेरा है…………100 वीं पोस्ट की बधाई।

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  7. प्रियंका ...तुमसे पढ़ने वाले मिले...मेरा लिखना सार्थक हुआ...बधाई हेतु,धन्यवाद .

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  8. रश्मिप्रभा जी ...ये बेवजह जो ..फ़ालतू के प्रश्न..मन में उठते हैं..बड़ा परेशान करते हैं

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  9. बहुत सुन्दर,,,,
    स्त्री के ह्रदय की असुरक्षा की भावना को बड़े नाज़ुक अंदाज़ में आपने लिखा..
    बधाई.
    आप वाकई किसी के भी स्नेह के काबिल हैं.

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  10. कुमार...तुम्हारी इस कोमल टिप्पणी हेतु आभार!!

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  11. सुषमा...इस दिल की हलचल से कई बार वास्ता पड़ता है इसलिए शायद ...लिखते वक्त मन की बात हू बहु उतर आई...

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  12. सागर...पसंद करने के लिए ...तहे दिल से शुक्रिया

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  13. वंदना....आपकी बधाई के लिए थैंक्स!!इस साल के शुरू में जब ब्लॉग बनाया था तो सोचा भी नहीं था कि यहाँ तक पहुंचूंगी .

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  14. विद्या....आपकी सुमधुर टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद.आपने मुझे इस काबिल समझा कि मैं किसी के भी स्नेह की पात्र हो सकती हूँ...शुक्रिया!!

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  15. bahut achchhi rachna. aatmvishleshan kar zindagi ko samajhna nihayat zaroori hota. shubhkaamnaayen.

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  16. डॉ. जेन्नी शबनम जी...आपका रचना को पढ़ने एवं सराहने के लिए शुक्रिया

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  17. सुंदर अहसासों से बनी खूबशूरत रचना,..बधाई ...

    मेरी नई पोस्ट केलिए काव्यान्जलि मे click करे

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  18. जब भी आपके पोस्ट पर आया हूँ, हर समय कुछ न कुछ सीखने वाला चीज मिला है। यह पोस्ट अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपकी प्रतिक्रियायों की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद

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  19. धीरेन्द्र जी...आपका आभार!!

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  20. प्रेमजी...हौसला अफजाई का शक्रिया !!

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  21. चाहत यदि शर्त हीन हो तभी वह चाहत है !
    काश ! कोई चाहत ऐसी भी होती

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  22. .. निधि ... एक बार फिर खूबसूरत नज़्म से रूबरू करने का शुक्रिया ..

    यूं तो बहुत मुश्किल था ‘ऐ जिंदगी’
    पर तेरा साथ हमने उम्रभर निभाया

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  23. धीरेन्द्र जी...सबकी यही तमन्ना कि काश ऐसी कोई एक तो चाहत हो!

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  24. अमित...थैंक्स!!अमित,मज़ा भी तो तभी है जब मुश्किल हो निबाह तब निभाया जाए

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  25. विश्वास और शक के झूले में झूलता प्यार।

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    1. प्यार..अक्सर इस झूले में झूलता रहता है.

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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