ज़िन्दगी एक किताब सी है,जिसमें ढेरों किस्से-कहानियां हैं ............. इस किताब के कुछ पन्ने आंसुओं से भीगे हैं तो कुछ में,ख़ुशी मुस्कुराती है. ............प्यार है,गुस्सा है ,रूठना-मनाना है ,सुख-दुःख हैं,ख्वाब हैं,हकीकत भी है ...............हम सबके जीवन की किताब के पन्नों पर लिखी कुछ अनछुई इबारतों को पढने और अनकहे पहलुओं को समझने की एक कोशिश है ...............ज़िन्दगीनामा
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आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 08 -09 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में आज ... फ़ोकट का चन्दन , घिस मेरे नंदन
आपकी इस रचना को पढ़कर आज मुझे समझ में आया क्यूँ मुझे सेतु देखना इतना पसंद है ...
ReplyDeleteआभार इस रचना के लिए ...
bahut sunder rachna ..
बहत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
behad kam sabdo mei aapne to sab kuch keh dia, behad sundar prastuti
ReplyDeleteअनुपमा...मुझे तो लगता है हरेक समझदार इंसान को सेतु पसंद आते होंगे..दीवारें बांटती हैं..सेतु जोड़ देते हैं.आपका धन्यवाद!!कमेन्ट करने के लिए
ReplyDeleteयशवंत...थैंक्स!!
ReplyDeleteगीता ..आपने पोस्ट को पसंद किया..जान कर मुझे अच्छा लगा .
ReplyDeleteसंगीता जी...मेरी रचना को शामिल करने के लिए ..आपका आभार
ReplyDeleteमन के किनारे भी सेतु से जुड जाते हैं ..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteवाह बहुत बढिया।
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteवंदना ....आपका आभार,लगातार साथ बने रहने के लिए
ReplyDeleteसदा...तहे दिल से शुक्रिया !!
ReplyDeleteकाश..ऐसा हो जाए हर रिश्ते में..!!
ReplyDeleteकाश........
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