मौन :
हाँ,मौन भी बोलता है.......
अक्सर,
जब हम; मैं और तुम
अकेले होते हैं -
तब,मैंने सुना है
कई बार
कि खामोशियाँ मुखरित होती हैं............
हमारे... हाथों के स्पर्शों में,
आँखों के इशारों में ....
और ये सन्नाटा भी कभी-कभी
अभिव्यक्ति दे देता है
अंतर्मन की व्यथा को.
शब्दों की ज़रुरत नहीं होती
जब तुम पास होते हो
क्यूंकि ,
भावनाओं का साथ पाकर
चुप्पी भी बोलती है
सारे राज़ खोलती है.
२७ अगस्त १९९६
हाँ,मौन भी बोलता है.......
अक्सर,
जब हम; मैं और तुम
अकेले होते हैं -
तब,मैंने सुना है
कई बार
कि खामोशियाँ मुखरित होती हैं............
हमारे... हाथों के स्पर्शों में,
आँखों के इशारों में ....
और ये सन्नाटा भी कभी-कभी
अभिव्यक्ति दे देता है
अंतर्मन की व्यथा को.
शब्दों की ज़रुरत नहीं होती
जब तुम पास होते हो
क्यूंकि ,
भावनाओं का साथ पाकर
चुप्पी भी बोलती है
सारे राज़ खोलती है.
२७ अगस्त १९९६
मौन कि भाषा ...अच्छी लगी
ReplyDeleteसंगीता जी...मेरी मौन की भाषा आप तक पहुँच ही गयी...धन्यवाद !!पुरानी पोस्ट पे नज़र डालने के लिए .
ReplyDeleteमौन ही तो भावना की भाषा है.सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत,प्रभावी और मौन को शब्द देती आपकी यह रचना बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteसादर
सपना जी ...मौन की भाषा अत्यंत सशक्त होती है...अधिकतर!!
ReplyDeleteपसंद करने के लिए थैंक्स ..
यशवंत जी...रचना को पढ़ने,पसंद करने और टिपण्णी करने के लिए शुक्रिया !!
ReplyDeleteमौन....कभी-कभी बड़ी सशक्त भाषा....
ReplyDeleteह्म्म्म...
Deleteमौन से सुन्दर और क्या..!!
ReplyDeleteसुंदर..!!
हमेशा सुन्दर नहीं होता....मौन.
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