मोनोलाग /डायलाग |
की तुमसे कहूं
तुम्हारा साथ अच्छा लगता है .
मन होता है ......................
कि तुमको छू लूं
तुम्हारा एहसास अच्छा लगता है .
दिल करता है.....................
कि तुमको पा लूं
तुम्हारा सामीप्य अच्छा लगता है .
पर,
सब यूँ ही धरा रह जाता है
क्यूंकि
प्यार दोतरफा होता है ,एकतरफा नहीं
प्रेम की अभिव्यक्ति तभी सार्थक है
जब दोनों ओर समान रूप से हो
क्यूंकि
प्यार कुछ भी होता हो
पर मोनोलाग कभी नहीं होता
प्यार हमेशा डायलाग होता है.
अच्छा है ये डायलोग..!!
ReplyDeleteशुक्रिया....पहली टिप्पणी के लिए.
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