tag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post8143198350089408783..comments2023-11-05T16:44:21.301+05:30Comments on ज़िन्दगीनामा: देह के समीकरणNidhihttp://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-85889578582029132132011-05-21T20:33:30.272+05:302011-05-21T20:33:30.272+05:30MS.....शुक्रिया !!मैं भी यही मानती हूँ कि भावनाएं ...MS.....शुक्रिया !!मैं भी यही मानती हूँ कि भावनाएं ही सर्वोपरि हैं पर देह के महत्त्व को भी नकारा नहीं जा सकता है......भावनाएं व्यक्त करने का साधन शरीर ही बनता है...........Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-18098025190043943392011-05-21T14:09:21.261+05:302011-05-21T14:09:21.261+05:30शरीर के स्तर पर सिर्फ प्यार नहीं होता है .भ...शरीर के स्तर पर सिर्फ प्यार नहीं होता है .भावनाओ के स्तर पर किया गया प्यार लम्बे समय तक टिकाऊ रहता है....यह शारीर बीज रूप है जो उस सोंदर्ये भावना को प्राप्त करने का साधन है ,<br />उसे तो केवल अनुभव कर सकते है वर्णित नहीं , जब मनुष्य किसी रस का स्वाद करता है तो वही वर्णन से केवल उसे व्यक्त कर सकता है परन्तु उसका स्वाद किसी को दे नहीं सकता....निधि तुमने बहुत सुन्दर ढंग से लिखा है, अभिव्यक्ति कमाल की है ......Mohammad shahabuddinnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-33937200785257571152011-05-20T20:58:41.868+05:302011-05-20T20:58:41.868+05:30तुम निहार लो पहले
मेरे माथे कों
मेरे अधर ...
मेरे...तुम निहार लो पहले<br /><br />मेरे माथे कों<br />मेरे अधर ...<br />मेरे नेत्र ........<br /><br />मेरे वक्ष<br />मेरी कमर<br />और उसके नीचे तक तक पहुंचे हुए<br />मेरे केश<br /><br />मेरे पैरों की उँगलियों के नाखून से<br />सिर तक.........<br />मेरी सम्पूर्ण देह<br /><br />लेकिन तब भी तुम मुझे एक बूंद ...<br />भी नहीं जान पाओगे<br />क्योंकि मै .........?<br />सिर्फ हूँ प्रेम ........<br />जिसे पाने की चाह में<br />कभी कभी<br />तुम मेरे मन कों भी ....<br />छिलकों की तरह .........<br />पर्त -दर -पर्त<br />दिया करते हो ....<br />उधेड़<br /><br />तुम निहार लो पहले-------<br /><br />मेरी सम्पूर्ण देह<br />क्योंकि मै<br />सिर्फ हूँ प्रेम ........Kiran Deepnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-24878736433989136042011-05-20T00:30:43.567+05:302011-05-20T00:30:43.567+05:30विनय जी..............आपकी बधाई स्वीकारती हूँ ........विनय जी..............आपकी बधाई स्वीकारती हूँ .........साथ ही साथ आपकी शुक्रगुजार हूँ कि आप मुझे अपनी टिप्पणियों से सदैव ही प्रेरित करते रहते हैं..........कुछ और बेहतर लिखने के लिएNidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-48990251594156731612011-05-19T21:47:04.190+05:302011-05-19T21:47:04.190+05:30निधि जी, आज एक बार फिर से नितांत सत्य को सुन्दर शब...निधि जी, आज एक बार फिर से नितांत सत्य को सुन्दर शब्दों में ढाला आपने, लिखने वाले बहुत हैं, मगर जिसको देखिये वो नितान्त ख्वाबों में खुद भी जीना चाहता है, और वही राह सबको दिखाता है...<br />बधाई आपको...Vinayhttps://www.blogger.com/profile/09745225545343291410noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-8485060093843201282011-05-19T19:01:21.038+05:302011-05-19T19:01:21.038+05:30प्रशांत.............मुझे अभी भी कई लोग मिल जाते है...प्रशांत.............मुझे अभी भी कई लोग मिल जाते हैं जो स्त्री से इस व्यवहार की अपेक्षा नहीं करते ..उनको हैरानगी होती है कि कोई स्त्री कैसे.........क्यूँ............प्यार करने की इच्छा जाहिर कर सकती है ........उस तो बस पुरुष की इच्छा के आगे समर्पित होना चाहिएNidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-23752334377710485952011-05-19T17:13:18.069+05:302011-05-19T17:13:18.069+05:30निधि, मुझे ख़ुशी है कि तुमने यह कहा. औरत को सिर्फ ...निधि, मुझे ख़ुशी है कि तुमने यह कहा. औरत को सिर्फ एक चीज़ समझने वालों के लिए यह एक खुलासा हो सकता है लेकिन यह एक सीधी सपाट सच्चाई है. <br />प्रशांत त्रिवेदीPrashanthttps://www.blogger.com/profile/17003725073390507608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-91921410446757621492011-05-19T15:18:50.484+05:302011-05-19T15:18:50.484+05:30रश्मिप्रभा जी ........कुछ लोग आपको आज भी मिल जायें...रश्मिप्रभा जी ........कुछ लोग आपको आज भी मिल जायेंगे जिनको ये स्वीकारने में दिक्कत है कि स्त्री की भी प्रेम करने के प्रति एक इच्छा होती है...या कह लीजिए ये स्वीकार भी लें तो यह बात उनके गले नहीं उतरेगी कि स्त्री अपनी इच्छा यूँ खुले रूप में जाहिर कर के पहल करे....Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-49149955202824006242011-05-19T15:14:06.618+05:302011-05-19T15:14:06.618+05:30अर्चना ................तुम्हारा इतना मस्त कमेन्ट प...अर्चना ................तुम्हारा इतना मस्त कमेन्ट पढ़ कर मज़ा आ गया ..........सच, अनूठे ढंग से एक पंक्ति में तुमने सब समेट लियाNidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-26691827368975530882011-05-19T15:12:36.096+05:302011-05-19T15:12:36.096+05:30संजय जी...................शुक्रिया.आपने ठीक कहा ,स...संजय जी...................शुक्रिया.आपने ठीक कहा ,सारे बिम्ब प्रतिबिम्ब अपने आस पास से ही लिए जाते हैं रचना के लिएNidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-86659752902358031282011-05-19T13:36:52.427+05:302011-05-19T13:36:52.427+05:30kaun naraz hoga pyaar sekaun naraz hoga pyaar seरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-39954456959352501872011-05-19T13:23:56.387+05:302011-05-19T13:23:56.387+05:30बात में दम है निधि..... प्यार के current को proper...बात में दम है निधि..... प्यार के current को proper earthing ना मिले तो जिंदगी का bulb रौशन कैसे होगा भला.....?? :)श्रेयार्चनhttps://www.blogger.com/profile/05141351240847974235noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-11289659202953080752011-05-19T13:14:30.378+05:302011-05-19T13:14:30.378+05:30संबंधो के सम्बन्ध में एक खूबसूरत कवितासंबंधो के सम्बन्ध में एक खूबसूरत कवितासंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-60425386156811804172011-05-19T13:09:39.566+05:302011-05-19T13:09:39.566+05:30आदरणीय निधि जी..
नमस्कार !
.....अक्सर जीवन में ऐसा...आदरणीय निधि जी..<br />नमस्कार !<br />.....अक्सर जीवन में ऐसा होता है .<br />वर्तमान जीवन के सन्दर्भ में सार्थक रचना <br />आभार ..............संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com