tag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post5635582469026256686..comments2023-11-05T16:44:21.301+05:30Comments on ज़िन्दगीनामा: ज़िंदगी हैइच ऎसी.....Nidhihttp://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-54460842790002788322012-06-12T23:06:07.742+05:302012-06-12T23:06:07.742+05:30बहुत दिन हो गए...आपकी नई कविता नहीं दिखाई दी और न ...बहुत दिन हो गए...आपकी नई कविता नहीं दिखाई दी और न ही आप. कहां हैं आप आजकल?मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-20500842750461933202012-06-06T21:01:09.582+05:302012-06-06T21:01:09.582+05:30संभल के चलने का अपुन से.............बाप रे बहुत खौ...संभल के चलने का अपुन से.............बाप रे बहुत खौफ वाले शब्द, पर सही कहा जिन्दगी हैईच ऐसी, डरना तो होगा ही. बहुत अच्छी रचना, बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-18331177746316093742012-06-06T17:15:14.883+05:302012-06-06T17:15:14.883+05:30कभी हंसाती है कभी रुलाती है ....
सच है जिंदगी ऐसी ...कभी हंसाती है कभी रुलाती है ....<br />सच है जिंदगी ऐसी ही है .... पता नहीं होता कब क्या कर जाती है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-20216691007326026602012-06-04T21:10:51.873+05:302012-06-04T21:10:51.873+05:30अपने धमकाने के अंदाज़ में ....
बच्चू ...बच के रहने ...अपने धमकाने के अंदाज़ में ....<br />बच्चू ...बच के रहने का<br />संभल के चलने का,अपुन से...<br />..........ज़िन्दगी हैईच है....बहुत कुछ सीखने को मिलता है आपसेसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-19687662905453201622012-06-04T15:04:13.012+05:302012-06-04T15:04:13.012+05:30जी हाँ जिंदगी ऐसीच है, पण उसके साथ चलते रहने का, म...जी हाँ जिंदगी ऐसीच है, पण उसके साथ चलते रहने का, मस्त रहने का... बहुत सुन्दरसंध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-33755024958553761392012-06-03T22:22:21.091+05:302012-06-03T22:22:21.091+05:30आप को पढ़कर जो महसूस होता है,बस उसी को शब्दों में ...आप को पढ़कर जो महसूस होता है,बस उसी को शब्दों में बांध देता हूं। बस काव्य रचना का ज्ञान नहीं है...हां जैसे भी भाव उद्घाटित होते हैं उकेर देता हूं उन्हें,जस का तस। आपको अच्छा लगता है तो मेरी खुशी बढ़ जाती है...मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-15995517287967123582012-06-03T17:01:33.540+05:302012-06-03T17:01:33.540+05:30वाह जी वाह...आपकी टिप्पणी जो कुछ मुझसे कहना छूट जा...वाह जी वाह...आपकी टिप्पणी जो कुछ मुझसे कहना छूट जाता है...वो सब भी कह देती है.शुक्रिया!!Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-36170245904351768122012-06-03T16:05:04.552+05:302012-06-03T16:05:04.552+05:30जिंदगी का यूं मिलना
अनायास
अप्रत्याशित
अचंभा सा...जिंदगी का यूं मिलना <br />अनायास <br />अप्रत्याशित <br />अचंभा सा लगता है <br />पर सोचो जरा<br />यह अचंभा <br />यह पटखनी <br />यह रुठना <br />यह मनाना<br />यह हंसना <br />यह रुलाना<br />...और कितना कुछ <br />इस जिंदगी के गलियारों में <br />विरोधाभास सा है<br />शायद तभी वह <br />सुंदर है और <br />धमकाने का सही <br />हक भी है उसे<br />.<br />ताकि हम उसे जान सकें<br />जी सकें उसके हर रूप रंग को<br />.मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-54549140816079680942012-06-03T13:14:06.429+05:302012-06-03T13:14:06.429+05:30हम्मम्मम .हम्मम्मम .Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-7454599834799234792012-06-03T13:12:53.207+05:302012-06-03T13:12:53.207+05:30शुक्रिया!!शुक्रिया!!Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-53808516158018680892012-06-03T12:45:26.817+05:302012-06-03T12:45:26.817+05:30मुझे कल मिली थी ,एक गली में
मुंह चिढाते हुए
कि आ ज...मुझे कल मिली थी ,एक गली में<br />मुंह चिढाते हुए<br />कि आ जा...मस्ती करते हैं.कुछ देर<br /><br />बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,,,,,,<br /> <br />RECENT POST .... <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_31.html#links" rel="nofollow">काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-17633783667335747382012-06-03T11:44:15.655+05:302012-06-03T11:44:15.655+05:30अक्सर,जब हारने लगते हैं
तो कहीं से चली आती है
कि ल...अक्सर,जब हारने लगते हैं<br />तो कहीं से चली आती है<br />कि ले थाम हाथ मेरा<br />अभी से कैसे हार मानने लगे<br />अभी तो लड़ना बाक़ी है,दोस्त... वाकई ज़िन्दगी हैईच ऐसीरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com