tag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post1639131152639069675..comments2023-11-05T16:44:21.301+05:30Comments on ज़िन्दगीनामा: पेंचकसNidhihttp://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-56316320858053080672012-09-25T00:19:56.765+05:302012-09-25T00:19:56.765+05:30ओके जी ओके जी Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-5377854625800154702012-09-24T16:39:27.039+05:302012-09-24T16:39:27.039+05:30बहुत गहरा कस गए आप ये शब्द..!!!
उम्दा..!!!बहुत गहरा कस गए आप ये शब्द..!!! <br /><br />उम्दा..!!!priyankaabhilaashihttps://www.blogger.com/profile/17633503503237589489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-57286741152648289002012-04-02T00:07:46.354+05:302012-04-02T00:07:46.354+05:30एक शख्स सारा जहां था मेरा
जिंदा रहने का सामान था म...एक शख्स सारा जहां था मेरा<br />जिंदा रहने का सामान था मेराNidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-27911241971192214202012-04-01T11:41:35.925+05:302012-04-01T11:41:35.925+05:30जिस प्यार के पेंच-ओ-ख़म इक याद से ही कस जाते हों
उस...जिस प्यार के पेंच-ओ-ख़म इक याद से ही कस जाते हों<br />उस में गर दीदार हो जाये तो जीने का सामान हो जायेTulika Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17357400542674169759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-74608191313548876022011-03-24T00:23:18.244+05:302011-03-24T00:23:18.244+05:30अर्चि दी ...........नए बिम्ब या नए प्रयोग की सार्थ...अर्चि दी ...........नए बिम्ब या नए प्रयोग की सार्थकता इसी में है कि भावनाएं कहीं छूट न जाएँ.......कुछ भी लिखने-पढने में आनंद तभी आता है जब भावनाओं का प्रवाह निरंतर होता रहे.......रस कि प्रतीति इसी से संभव हो पाती है..........आपको मेरी इस कृति में रसास्वादन में कोई परेशानी नहीं हुई ये मेरे लिए मायने रखता है.......प्यार एक ऐसी भावना है जिसे कितने अलालग रूप में हम महसूस करते हैं...उन्ही में से ये भी एक है कि जब प्यार का एहसास कसक उत्पन्न करता है..................आपकी इस संवेदनशील टिप्पणी के लिए दिल से आभारी हूँNidhi Tandonnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-67546735793361272832011-03-23T23:22:52.623+05:302011-03-23T23:22:52.623+05:30बहुत सुन्दर कृति !!!....बड़ी अनूठी अभिव्यक्ति !!!.....बहुत सुन्दर कृति !!!....बड़ी अनूठी अभिव्यक्ति !!!....नये बिम्ब.....नयी कल्पना ....नया प्रयोग ...और उस से भी बढ़कर भावनाओं की बड़ी सूक्ष्म अनुभूति !!!<br />स्नेह के समीकरणों को तुम सदा ही भिन्न भिन्न कोनों से समझती ....देखती आयी हो ....इसीलिये तुम्हारी कवितायें मुझे अन्दर तक उद्वेलित करतीं हैं !!!<br />होता है ऐसा भी ...होता है.....वो जिन्हें हम भूल चुके होते हैं ....या सोचते हैं कि जिन्हें हम भुला चके हैं .....वही जब कहीं हमारे सामने आ जाते हैं ...अचानक ...सहसा ....अनपेक्षित !!!....तो मन में कहीं एक अनजानी सी टीस ....एक असहनीय दर्द ....एक अकथ वेदना !!!.......जैसे कोई गहरे......अन्दर में पेचकस घुसा कर सारी संज्ञा को .....सभी शिराओं को कस दे !.....इस यंत्रणा को सिर्फ वो ही समझ सकता है जिसने उस प्रेम कि तीक्ष्णता को जिया हो .....उस प्रीत कि चुभन को ....कसक को सहा हो !!!<br />सच ...बड़ी ही मार्मिक प्रस्तुति .....बड़ी संवेदनशील अभिव्यक्ति !!!......Archna Pantnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-45357965767876299462011-03-21T11:18:53.287+05:302011-03-21T11:18:53.287+05:30आपको मुझमें क्षमता दिखती है की मैं जीवन के क्षणों ...आपको मुझमें क्षमता दिखती है की मैं जीवन के क्षणों को लफ़्ज़ों का जामा पहनाने में सक्षम हूँ...................इसके लिए और साथ ही साथ रचना को सराहने क लिए शुक्रियाNidhi Tandonnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-553260402966440252011-03-19T23:03:07.441+05:302011-03-19T23:03:07.441+05:30निधि: जीवन की अपनी परिभाषाएं हैं, और जीवन के अपने ...निधि: जीवन की अपनी परिभाषाएं हैं, और जीवन के अपने रंग भी हैं, कोई जीवन अपनी मस्ती में जीता है, उससे जीवन की छोटी मोती होती हुई घटनाओं का आभास ही नहीं हो पाता है, परन्तु तुमने जीवन को अनुभव किया है, हर श्रण जो मन में उथल पुथल होते है उसको तुमने एक उपमा के रूप में प्रतीत कराया है जो सुन्दर ही नहीं वरन अदभुत है... इस प्रकार की श्रमता हर किस्से में नहीं होते है...<br />जिस दिन से जुदा वह हुवे <br />इस दिल ने धड़कना छोड़ दिया ...mohammad shahabuddinnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-17835248240864696992011-03-19T00:46:19.932+05:302011-03-19T00:46:19.932+05:30अमित आपने मेरे मन की बात कह दी ..........नए प्रयोग...अमित आपने मेरे मन की बात कह दी ..........नए प्रयोग की हर जगह बहुत संभावनाएं होती है पर हमेशा मुश्किल यहीं आती है की नए को स्वीकार करने में लोगों को थोडा वक़्त लग जाता है.......आपको यह नया प्रयोग अच्छा लगा इसके लिए शुक्रियाNidhi Tandonnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9212646479117229472.post-81835157333501114272011-03-18T18:11:33.662+05:302011-03-18T18:11:33.662+05:30बेहद सुंदर निधि ..."उपमा अलंकार" में आपक...बेहद सुंदर निधि ..."उपमा अलंकार" में आपका अनूठा अनुदान अनुपम है...<br />'पेंचकस' आजतक कविता में प्रयोग न किया गया हो..<br />इस कमाल के लिए तुम्हे धन्यवाद...<br />मैं स्वयं इस बात से इत्फिफाक रखता हूँ कि हमें नई उपमाएं ढूढ़नी होगी ..'चाँद', 'तारे' ..'शमां' 'परवाने' से ऊपर उठाना होगा.......<br />कविताओं में नए प्रयोग की बेहद संभावनाए है..Amit Harshhttps://www.blogger.com/profile/02030757684941043599noreply@blogger.com