Friday, October 25, 2013

इंतज़ार में हूँ




आजकल मेरा समय काटे नहीं कटता है
सारा दिन तुम्हारे ख्यालों में खोया रहता है
समस्त बातों का केंद्रबिंदु हो गए हो तुम.
सारे विचार तुम तक जाकर लौट आते हैं
मेरे सारे सपने तुम में ही ठौर पाते हैं
तुम और तुम्हारे एहसास से लिपटी रहती हूँ
अपने इस हाल पर विस्मित रहती हूँ .

यहाँ,मेरा यह हाल है ....
पर,
पता नहीं तुम वहाँ क्या करते हो ?
क्या कभी तुम्हें मेरा ख्याल आता है
क्या तुम मुझे अपने पास पाते हो
कभी मेरी कमी का एहसास होता है
इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए ..
मैं बहुत बेचैन रहती हूँ ..
पर,तुम तो फिर तुम हो न
मैं आँखों से जब कहती हूँ
तुम अनदेखा कर जाते हो
जो मैं तुमसे कुछ पूछूँ
तुम अनसुना कर जाते हो
किस तरह तुमसे सब जान लूँ
दिल का तुम्हारे हाल पा सकूँ
समझ नहीं पाती हूँ .
इंतज़ार में हूँ.....
तुम कुछ कहो
जिसे मैं समझ सकूँ .

14 comments:

  1. ये जिन्दगी का फ़लसफ़ा है .....इंतज़ार और अभी इंतज़ार और .......
    शुभकामनायें!

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    1. वही करना है....अशोक जी

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  2. ये इंतज़ार भी एक इम्तिहान होता है … बहुत सुन्दर रचना … शुभकामनायें

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  3. Replies
    1. तहे दिल से शुक्रिया!

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  4. कोमल भावनाओं में लिप्त भावपूर्ण रचना...

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  5. बहुत सुंदर भावनाओं की उम्दा अभिव्यक्ति ,,,!

    RECENT POST -: हमने कितना प्यार किया था.

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  6. प्रेम में अक्सर बिनकहे ही समझ आ जाता है ... अपने हाल से उनका हाल मिल जाता है ...
    गहरा एहसास लिए भाव ...

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  7. हार्दिक धन्यवाद,मेरी रचना को शामिल करने के लिए

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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