Thursday, November 22, 2012

गुमशुदा



तेरी यादों की भीड़ में ...मैं गुमशुदा
बहुत हो चुका
अब तुम्हें आना ही होगा
कि मैं भी थक चुकी हूँ
इस कोलाहल से .

चले आओ
यादों से निकलकर
मेरे ऐन सामने
कि अब मैं खुद को
पाना चाहती हूँ .

17 comments:

  1. बहुत सराहनीय प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  2. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........

    ReplyDelete
  3. क्या खोया....
    क्या पाया.....!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सबसे मुश्किल सवाल...

      Delete
  4. यादें जब दिल में शोर मचाएं ....तो खुद की आवाज खो जाती है उसमें .....खुद को ढूंढना हो अगर तो फिर से भरना होगा प्यार जीवन के रीते घट में

    ReplyDelete
    Replies
    1. प्यार..भरने की प्रक्रिया..इतनी आसां है क्या ?खुद को ढूँढ पाना...बड़ा ही मुश्किल है.

      Delete
  5. सुन्दर रचना हेतु बहुत-बहुत बधाई,

    ReplyDelete
    Replies
    1. तहे दिल से आपका शुक्रिया!

      Delete

टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

Followers