Tuesday, January 25, 2011

फाँस की चुभन

फाँस की चुभन
उसके अन्दर रह जाने का दर्द.........
जिस किसी के फाँस चुभी हो,
बस,केवल वही समझ सकता है.
ठीक उस फाँस की तरह है .......
तुम्हारा प्यार.
जो दिल में मेरे
कहीं गहरे उतर गया है
ऊपर से तो किसी को नज़र नहीं आता
पर,मुझे उसका दर्द
चुभन की टीस लगातार महसूस होती हैबिना रुके....
.............अविराम

२८ अप्रैल १९९८

10 comments:

  1. Beautiifulll.....Nidhiii
    feel honoured...for
    Aapkii Inn Adbhut Rachnaaoonn kaa Sangrah...
    thanxxx a lot......!!!!my dear frnd

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. अंकुर ..........आपका कमेन्ट मेरे ब्लॉग पर किया गया पहला कमेन्ट है...........बहुत शुक्रिया

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  4. यह फांस भी न ... खूबसूरती से लिखा है

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  5. शुक्रिया..............यशवंत !

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  6. संगीता जी......आभार!!

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  7. ये फांस तो अच्छी लग रही है ...

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  8. रेखा...आपको अच्छी लगी...यह काफी है मेरे लिए .

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  9. थैंक्स....प्रियंका!

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टिप्पणिओं के इंतज़ार में ..................

सुराग.....

मेरी राह के हमसफ़र ....

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